Thursday, 5 January 2012

सिल्वर स्क्रीन पर महाराणा प्रताप की गौरव गाथा

इतिहास के नायक समय-समय पर हिंदी सिनेमा के विषय वस्तु बनते रहे हैं. इसमें कई ऐसे चरित्र भी सामने आये जो ऐतिहासिक दृष्टि से ज्यादा महतवपूर्ण होते हुए भी दर्शकों द्वारा सराहे गए. हैरत की बात ये है कि अब तक किसी फ़िल्मकार ने महाराणा प्रताप के गौरवशाली चरित्र को सिल्वर स्क्रीन पर उतारने की जहमत नहीं उठाई, जबकि दुसरे एतिहासिक चरित्रों के मुताबिक राणा प्रताप का चरित्र कहीं ज्यादा प्रेरक और गौरवशाली रहा है. 16 वीं शताब्दी में मुगलिया सल्तनत की चुल हिला देनेवाले मेवाड़ गौरव महाराणा प्रताप का पूरा जीवन स्वाभिमान और स्वतंत्रता की जीवंत मिसाल रही है. पहली बार निर्माता प्रदीप कुमावत ने राणा के जीवन सूत्र को पर्दे पर पेश करने का जिम्मा उठाया है. आलोक ऑडियो विजुअल्स प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले बननेवाली इस फिल्म में महाराणा के जीवन के कई ऐसे प्रसंगों से लोगों को रु--रु कराया जायेगा जो अब तक सामने नहीं आये हैं. फिल्म की खासियत ये है कि पूरी फिल्म को राजस्थान के रियल लोकेशनों पर फिल्माया गया. हल्दीघाटी युद्ध, मीरा प्रसंग, पद्दमिनी जौहर, पन्ना-धाये प्रकरण , इन सारे एतिहासिक प्रसंगों को पूरी प्रमाणिकता के साथ पेश करने की कोशिश की गई है. पेशे से शिक्षाविद रहे प्रदीप कुमावत ने फिल्म के निर्माण के साथ-साथ इसके निर्देशन की भी जिम्मेदारी उठाई है. बकौल डॉक्टर कुमावत ये फिल्म महाराणा प्रताप के साथ ही एतिहासिक अन्याय के खिलाफ एक स्वर है. उम्मीद है की आज कि पीढ़ी महाराणा प्रताप जैसे अजेय योद्धा के उद्देश्य और संस्कारों से सबक लेगी

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